तुम समझती क्यों नहीं?
तुम समझती क्यों नहीं?
चिल्ला दिया तुम पर, क्योंकि परवाह थी तुम्हारी,
तुमको मार दिया, क्योंकि गलती थी तुम्हारी,
तुम समझती क्यों नहीं?
बाल खींच दिए, क्योंकि नशे में था मैं,
जबरदस्ती कर ली, क्योंकि गरूर में था मैं
तुम समझती क्यों नहीं?
मां बाप से शिकायत कर दी, क्योंकि गलती थी तुम्हारी,
जलील सबके सामने कर दिया , क्योंकि बेवकूफी थी तुम्हारी,
तुम समझती क्यों नहीं?
नौकरी छोड़नी है, क्योंकि घर को जरूरत है तुम्हारी,
नौकरी करनी है, क्योंकि सवाल मेरे रुतबे का है,
तुम समझती क्यों नहीं?
भाई को फ़ोन करके शिकायत कर दी, क्योंकि मैं संयम खो बैठा था,
मामा , फूफा को शिकायत कर दी, क्योंकि तुम समझती नहीं
तुम समझती क्यों नहीं?
जला दिया तुम्हें, क्योंकि गाड़ी नहीं थी,
फेंक दिया नहर में, क्योंकि नकदी में कमी थी
तुम समझती क्यों नहीं?
तुम्हारी सामाजिक बेबसी समझता हूं मैं, इसे बदत्तर बनाना है अभी,
तुम औरत हो, तुम अपना हक कभी मांग ही नहीं पाओगी,
कभी समाज , कभी परिवार के डर से।
इस कमतर के एहसास को बनाये रखो, ताकि मैं अपनी हर गलती के बाद बोल सकूँ,
तुम समझती क्यों नहीं?
~ गुमनाम पुरुष